
छगन भुजबल को कैबिनेट में शामिल न किए जाने से अजित पवार आक्रामक हो गए हैं। नासिक में जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण भुजबल का संबोधन भी रोक दिया गया। सूत्रों के अनुसार, भुजबल को कैबिनेट से बाहर रखने का कारण विधायकों का विरोध बताया जा रहा है। विधायकों का कहना था कि भुजबल को मंत्री पद नहीं दिया जाना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, भुजबल के खिलाफ पार्टी के भीतर असंतोष था। कुछ विधायकों का मानना था कि भुजबल ने अपने बेटे के लिए दबाव बनाया, जिसके चलते पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। विधान परिषद में भुजबल के कदमों को भी विवादित बताया गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह सब पसंद नहीं आया, जिससे स्थिति और जटिल हो गई।
नासिक जिले के विधायक, जैसे दिलीप बुनकर (निफाड), माणिकराव कोकाटे (सिनर), सरोज अहिरे (देवलाली), नरहरि (डिंडोरी), नितिन पवार (कलवान) और हिरामन खोजकर (जिरवाल), भुजबल को कैबिनेट में जगह न मिलने पर नाराज हैं। भुजबल ने घोषणा की है कि वे ओबीसी अधिकारों के लिए आंदोलन करेंगे और पूरे राज्य में जनजागृति करेंगे।
ओबीसी समुदाय के समर्थन से भुजबल ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि गांव-गांव से फोन आ रहे हैं और लोग उनके साथ खड़े हैं। वरिष्ठ स्तर पर लिए गए फैसले पर भुजबल ने कहा कि वे किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहते लेकिन आंदोलन की योजना जरूर बनाएंगे।
भुजबल ने शरद पवार को सम्मान देने के लिए आभार व्यक्त किया, लेकिन मौजूदा स्थिति से निराशा भी जताई। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम रखने की अपील की और कहा कि वे शरद पवार और अजित पवार दोनों का सम्मान करते हैं।
यह रिपोर्ट महाराष्ट्र की राजनीति में चल रहे बड़े विवाद को उजागर करती है। राज्य में यह मामला किस दिशा में जाएगा, यह देखना बाकी है।